Department of Sanskrit
ऋग्वेद कहता है "पश्य देवश्य काण्य न मममर न जीर्यती"
जो न तो मरती है और न ही विघटित होती है। संस्कृत वेद भाषा और देव भाषा में आपका स्वागत है।
संस्कृत हमारी संज्ञानात्मक शक्तियों को कई तरह से बेहतर बनाता है, यदि हिंदी में आप अच्छे है और देवनागरी वर्णमाला का उपयोग करते है तो संस्कृत को बहुत आसानी से सीखा जा सकता है।
विभाग
ललित नारायण तिरहुत महाविद्यालय जो (बिहार विश्वविद्यालय) से संबंध है। यहां शिक्षकों के मार्गदर्शन में अन्य विषय के साथ-साथ संस्कृत विषय में बा की कक्षाएं चलती है। वर्तमान में सेमेस्टर -MJC,MIC, MDC, AEC की कक्षा छात्रों को इसकी सुविधा प्रदान है।
महत्व
संस्कृत भाषा भारत की सांस्कृतिक विरासत को समझने में मदद करती है। इसमें भारतीय इतिहास, साहित्य, धर्म और दर्शन शामिल है। संस्कृत हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक ग्रंथो की भाषा है। जैसे कि वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण और महाभारत, भगवत गीता ही नहीं बल्कि शंकर, रामानुज, माधव गौतम, कपिल, जैमिनी जैसे महान दार्शनिक, पाणिनि, कात्यायन,भर्तहरि जैसे व्याकरण, पतंजलि जैसे योगगुरु, आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और भास्कर जैसे गणितज्ञ, चरक और सुश्रुत जैसे महान आयुर्वेदज्ञ, भारत जैसे नाट्यविद और बाल्मीकि, कालिदास, भवभूति, भास, व्यास, बाणभट्ट जैसे अनेकानेक सर्जको के अनेक विशिष्ट और उल्लेखनीय अवदान भी है। इनमें से बहूतों की वैज्ञानिकता, तर्ककुशलता, जीवन में उपयोगिता और अकादमिक मूल्यवत्ता, देश-विदेश के अध्येताओं को सदियों से आकर्षित करती रही है।
उद्देश्य
संस्कृत में ज्ञान और दर्शन का एक विशाल भंडार है यह भाषा हमें भारतीय ज्ञान परंपरा को समझने में मदद करती है।
* यदि आयुर्वेद, शास्त्रीय संगीत, भारतीय दर्शन, योग, ज्योतिष के छात्र है तो ज्ञान के सागर में नेविगेट करने के लिए संस्कृत सबसे अच्छी नाव है।
* यदि किसी भाषा (रूसी एक यूक्रेनी) का अध्ययन करना चाहे तो संस्कृत का ज्ञान आपकी मदद कर सकता है क्योंकि व्याकरणिक संरचनाएँ और यहाँ तक की कुछ शब्दावली भी संस्कृत से बहुत मिलती जुलती है।
* संस्कृत हमारे विचार, प्रक्रिया, स्मृति क्षमता, भाषाई क्षमता, उच्चारण की स्पष्ट, संचार कौशल आदि को बेहतर बनाने में मदद करती है।
* संस्कृत का व्याकरण इतना अदभुत और अद्वितीय है कि इसका अध्ययन विश्व भर के विभिन्न प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में किया जाता है।
* संस्कृत भाषा भाषा कौशल और मानसिक क्षमताओं को भी विकसित करती है।
प्रासंगिकता:- संस्कृत का प्रयोग कई धर्मों और संस्कृतियों में किया जाता है- हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म आदि। यहाँ तक की तिरुकुरल में भी वैदिक साहित्य के साथ कई समानताएँ है। दोनों में धर्म, अर्थ, काम समान है।
* संस्कृत दुनिया के लगभग सभी भाषाओं के साथ संपर्क है, इसलिए यदि कोई व्यक्ति संस्कृत में पारंगत हो जाता है तो उसे अन्य भाषाओं को सिखाने में आसानी होगी।
* संस्कृत को भारत के सभी विद्यालयों में वैकल्पिक भाषा के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। इसी को ध्यान में रखकर
* भारत के शिक्षा नीति जो 1968 में और फिर 1986 में प्रस्तुत की गई थी, उसमें स्पष्ट रूप से संस्कृत के अध्ययन को महत्व को स्वीकार करते हुए देश की सांस्कृतिक विरासत व प्राचीन ज्ञान को आगे की पीढ़ीयों तक पहुंचाने के लिए संस्कृत की शिक्षा को आवश्यक माना गया है।
रोजगार
संस्कृत विषय में उच्च शिक्षा प्राप्त कर छात्रों को रोजगार के रूप में किसी विद्यालय में शिक्षक के पदस्थापित हो सकते है।( संस्कृत में पी.एच.डी.) की उपाधि प्राप्त करके देश के किसी भी विश्वविद्यालय द्वारा महाविद्यालय में प्रोफेसर की उपाधि प्राप्त कर सकते है।

